अतुल यादव विशेष संवाददाता 


लबों पे आके ठहर गई,बातें कुछ अनकही सी,
ज़िद थी इस बार,शुरुआत वो करे
आंखे दर्द बयां कर रही थी,पर दिल ज़िद पे अडा था,
वो रूठा था किसी बात पे,और वो अडी थी अपने सम्मान पे।
खता थी न दोनों की,फिर भी खफा दोनों थे,
एक को खोने का डर था,दूजे की वफा पे प्रश्न था।
वो प्रेम की गहराई उसकी जाने,वो अपना प्रेम उसी को माने,
फिर कैसी ज़िद पे दोनों अडे थे,साथ होके भी दोनो क्यों अलग खड़े थे।

लेख: कहते है खामोशियां बहुत कुछ कहती है बस सुनने वाला होना चाहिए लेकिन ऐसा कुछ नहीं है अगर खामोशियां बहुत कुछ कहती तो आज कोई तन्हा नहीं होता आज कोई दुखी नहीं होता ना किसी को शिकायत होती कि वफ़ा यार ना मिला।

असली प्यार क्या है?
मेरी नजर में असली प्यार असल में प्रेरणा ही है जिसके सहारे आप जीवन के हर उतार चढ़ाव और संघर्ष का खुशी खुशी सामना कर लेते हैं निरंतर आगे बढ़ते हैं। जो जीवन को खुशियों से भर देता ह