इस बार मदर्स डे पर मशहूर रचनाकार गुलज़ार, मुनव्वर राणा, निदा फ़ाज़ली और कवि ओम व्यास की मां पर लिखी 4 चुनिंदा नज़्में। ये वह रचनाएं हैं जो देश-काल और तमाम बंधनों से परे हैं...इनका हर एक शब्द मन को गहराई तक छू जाता है। आप भी महसूस कीजिए...
देश के 4 मशहूर रचनाकारों की नजर में मां
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बेसन की सोंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी मां
बेसन की सोंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी मां,
याद आता है चौका-बासन, चिमटा फुंकनी जैसी मां।बांस की खुर्री खाट के ऊपर हर आहट पर कान धरे,
आधी सोई, आधी जागी, थकी दुपहरी जैसी मां।चिड़ियों के चहकार में गूंजे राधा-मोहन अली-अली,
मुर्गे की आवाज़ से खुलती, घर की कुंड़ी जैसी मां।बीवी, बेटी, बहन, पड़ोसन थोड़ी-थोड़ी सी सब में,
दिनभर इक रस्सी के ऊपर चलती नटनी जैसी मां।बांट के