संतोष कुमार चौरसिया संवाददाता लखनऊ की रिपोर्ट...


लोक निर्माण विभाग में टेंडर को लेकर हमेशा कुछ ना कुछ उथल पुथल मची रहती है चाहे वह छोटे लेवल के या बड़े लेवल के टेंडर हो... ऊपरी स्तर से भी कड़े आदेश हैं कि टेंडर प्रक्रिया में पूरी तरह से पारदर्शिता बरती जाए लेकिन कहीं ना कहीं इसके विपरीत ऐसे ही बड़े ठेकेदार/ विधायक हैं जो टेंडर प्रक्रिया में हमेशा इंवॉल्व रहते हैं जबकि यह कड़े आदेश हैं कि कोई भी विधायक या सांसद जो जनता की सेवा के लिए चुने गए हैं वह टेंडर प्रक्रिया से दूर रहेंगे.. उत्तर प्रदेश में भी ऐसे ही एक बड़े ठेकेदार / विधायक हैं जिनको टेंडर दिलाने के लिए शासन स्तर के बड़े अधिकारी लग जाते हैं और तब तक साथ खड़े होते हैं जब तक इनको टेंडर मिल ना जाए.. हां अगर इन महाशय को टेंडर ना मिले तो महाशय उन अधिकारियों को वहां से हटवा देते हैं चाहे वह अधीक्षण अभियंता हो या फिर मुख्य अभियंता स्तर के.. यह अपने हिसाब से बड़े अधिकारियों के साथ मिलकर जिले में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की बिसात बिछाते हैं जिससे उनको टेंडर मिलने में आसानी हो सके .. चाहे वो बनारस हो मेरठ हो अयोध्या हो.. हाल ही में यह भी सुनने में आया है कि अयोध्या में भी ऐसे ही कुछ हुआ है जिससे वहां के अधिकारियों को हटाने में लग गए हैं.. ऐसा क्यों है कि इनकी खबर सीएम साहब तक नहीं पहुंचती है अगर पहुंचती भी है तो इन पर कार्रवाई क्यों नहीं होती है