चंदौली :वाराणसी से सटा चंदौली संसदीय सीट का अधिकांश हिस्सा ग्रामीण अंचलों से घिरा है। खेतीबाड़ी यहां के लोगों की आजीविका का प्रमुख साधन है। पूर्व मुख्यमंत्री पंडित कमलापति त्रिपाठी के बाद किसी भी राजनेता ने सिंचाई संसाधन के लिए कोई ठोस पहल नहीं की। 21वीं सदी में भी जातिवाद और क्षेत्रवाद चुनाव पर हावी रहता है। इसी का परिणाम है कि 22 साल जिला सृजन के बाद भी अब तक जिला मुख्यालय तक का निर्माण पूरा नहीं हो सका है। 

चंदौली संसदीय सीट देश के पहले लोकतांत्रित चुनाव के समय से ही अस्तित्व में है। 1997 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने वाराणसी से पृथक कर चंदौली जिले का सृजन किया था। जिले का नक्सल प्रभावित क्षेत्र चकिया विधानसभा पड़ोसी राबर्ट्सगंज सीट में समाहित है। चंदौली संसदीय सीट में मुगलसराय, सकलडीहा व सैयदराजा के अलावा वाराणसी की अजगरा व शिवपुर विधानसभा शामिल हैं। जिले में न तो कृषि, न रोजगार, न शिक्षा, न स्वास्थ्य और न ही पर्यटन को बढ़ावा मिल सका।

गरीबी व बेरोजगारी के कारण युवाओं का आज भी पलायन जारी है। शिक्षा के नाम पर दो राजकीय कॉलेज को छोड़कर अधिकांश निजी महाविद्य