वैसे तो चेन्नई भारत के पुराने प्रगतिशील शहरों में गिना जाता है, लेकिन इन दिनों वहां ‘जल -आपातकाल’ का प्रकोप है। शहर के लगभग सभी बड़े रेस्त्रां ने अपने काम करने के समय को कम कर दिया है। बैठ कर खाने के बजाय घर ले जाने वालों को छूट दी जा रही है। चेन्नई होटल एसोसिएशन के मुताबिक, पानी की कमी के चलते शहर के कोई पचास हजार छोटे व मध्यम होटल-रेस्त्रां गत पंद्रह दिन से बंद हैं और इससे हजारों लोग बेरोजगार हो चुके हैं।महानगर के विश्व प्रसिद्ध आईटी कॉरीडोर ओल्ड महाबलीपुरम रोड (ओएमआर) की साढ़े छह सौ से अधिक आईटी कंपनियों ने अपने बीस हजार से ज्यादा कर्मचारियों को घर से काम करने या फिर कंपनी के हैदराबाद या बंगलूरू स्थित कार्यालयों से काम करने के निर्देश दे दिए हैं। कुल मिला कर शहर में पानी बचा ही नहीं है।
कोई नब्बे लाख की आबादी के शहर में पानी के नल हफ्तों से सूखे हैं और बारह हजार लीटर का एक टैंकर पांच हजार में खरीद कर लोग काम चला रहे हैं। कभी लगता है कि समुद्र तट पर बसा ऐसा शहर, जहां चार बड़े-बड़े जलाशय और दो नदियों थीं, आखिरकार पानी की हर बूंद के लिए क्यों तरस गया?
गंभीरता से देखें,