रेलवे में वीआरएस लेकर एक बच्चे को नौकरी दिलाने के खेल पर रेलवे बोर्ड ने ब्रेक लगाकर कर्मचारियों के सपने तोड़ दिए हैं। हाईकोर्ट की फटकार के बाद बोर्ड ने संज्ञान लिया। ग्रुप डी के कर्मचारी वीआरएस तो ले सकेंगे, लेकिन उनके एक बच्चे को नौकरी नहीं मिलेगी। आरआरबी के माध्यम से निकलने वाली नौकरियों के माध्यम से ही चयन होगा। इज्जतनगर रेल मंडल में ऐसे करीब 2500 आवेदन निरस्त किए गए। यही हाल मुरादाबाद रेल मंडल का है। जनसंपर्क अधिकारी राजेंद्र सिंह का कहना है, यह योजना कई महीने पहले बंद हो चुकी है। 

 
यूनियन नेताओं की मांग पर दी गई थी राहत 
यूनियन नेताओं ने रेलवे बोर्ड और मंत्रालय में मांग उठाई थी। जो कर्मचारी अक्षम हैं। नौकरी करने की स्थिति में नहीं हैं। ऐसे कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी जाएं, लेकिन उनके एक बच्चे को नौकरी दे दी जाए। रेल के ऑपरेटिंग विभाग में ग्रुप डी में यह व्यवस्था लागू करा दी गई। सात-आठ साल तक नौकरी का खेल चला। तीन-चार साल नौकरी के बचने पर कर्मचारी वीआरएस लेकर अपने एक बच्चे को नौकरी दिलवा देते थे। मेडिकल और शैक्षिक योग्यता के आधार पर चयन कर