21वीं सदी की राजनीति में एक और बदलाव देखने को मिल रहा है । विपक्ष सत्ता पक्ष की नाकामियों से सत्ता प्राप्त करने के मंसूबे बनाए हुए है । इन राजनीतिक दलों को ऐसा लग रहा है कि आपराधिक घटनाओं की जितनी अधिकता होगी, सरकार उतनी ही बदनाम होगी । इससे जनता नाराज हो जाएगी और चुनाव के समय सरकार के विरोध में एक लहर बहेगी, जिसका फायदा उन्हें मिल जाएगा । इस कारण प्रदेशों में हो रहे अपराधों की विपक्ष अनदेखी कर रहा है । उसके खिलाफ न कोई धरना, न प्रदर्शन और न ज्ञापन ।
ऐसा सोचने वाले अधिकांश क्षेत्रीय दल हैं। जिन्हें जनता ने पसंद ही इसलिए किया था कि जब उसके ऊपर कोई मुसीबत या समस्या आती थी, तो ऐसे क्षेत्रीय दलों के नेता और कार्यकर्ता खुल कर मदद करते रहे । धरना, प्रदर्शन, ज्ञापन देकर प्रशासन को न्याय देने के लिए मजबूर करते रहे । लेकिन धीरे-धीरे उनकी इस प्रवृत्ति में ह्रास हो रहा है। जिससे जनता भी धीरे-धीरे उनसे दूर खिसक रही है । इन क्षेत्रीय दलों में एक और बदलाव परिलक्षित हो रहा है। कुछ क्षेत्रीय दल अपने राजनीतिक वजूद को बचाने के लिए सत्ता पक्ष की हाँ में हाँ मिलाने लगे हैं। इस कारण ऐसे क्षेत्रीय दलों के कार्यकर्त