लेख: अतुल यादव,विशेष संवाददाता

वैलेंटाइन वीक स्पेशल:प्यार के लिए दिल जिम्मेदार है या दिमाग? जानिए इसके पीछे का साइंस; कब और कैसे होता है प्यार। ( लेख,अतुल यादव)

हम सभी को कभी न कभी प्यार जरूर होता है। कहते हैं, प्यार एक ऐसा एहसास है जो लफ्जों में बयां नहीं किया जा सकता है। इसे सिर्फ फील किया जा सकता है। प्यार को हमेशा दिल से जोड़कर देखा जाता है न कि दिमाग से, लेकिन सच्चाई कुछ और ही है। किसी से प्यार हो जाना और उसे दिलोजान से चाहने लगना, ये हमारे दिल नहीं बल्कि दिमाग के कारण होता है। किसी से प्यार होने के लिए हमारे दिमाग में होने वाले कुछ केमिकल रिएक्शन और हमारे जेनेटिक स्ट्रक्चर (जीन संबंधी संरचनाएं) जिम्मेदार होती हैं। इन्हीं की बदौलत प्यार की गहराई तय होती है।

प्यार में पड़ने के कई साइंटिफिक कारण होते हैं। किसी को पसंद करने, उसकी तरफ अट्रैक्ट होने से लेकर ब्रेकअप होने तक में, हमारे दिमाग और शरीर के कई हार्मोन और केमिकल जिम्मेदार होते हैं। प्यार के पीछे डोपामाइन और नॉरएपिनेफ्रीन हार्मोन का बहुत बड़ा रोल होता है।
प्यार मे